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Results 161-170.
 

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161 कुलोचितधर्मशिक्षा : भाषा टीका समेत : जिसमें चारोंवर्णों के कर्म की प्रधानता श्रीशङ्कराचार्य्य जीको जैनबौद्धादिकों के मतको श्रुतिस्मृति पुराणों से खण्डन करके दिग्विजयके इतिहास व गौतम महर्षिके शाप से पाखण्ड मतकी उत्पत्ति का वृत्तान्त और अनेक प्रकार के धर्म्मों का कथन भली भांति वर्णित है / शिवगोविन्द शर्मा से निर्माण कराई / Śarmā, Śivagovinda -- Navalakiśora1910 SARDA
162 सारस्वत सटीक : जिसमें हसान्त पुल्लिंग, हसान्त स्त्रीलिंग, हसान्त नपुंसकलिंग, युष्मदस्मद्शब्द, अव्यय और स्त्रीप्रत्यय पर्य्यन्त विषय वर्णित हैं / पण्डितउमादत्त और पण्डितशक्तिधर सुकुलने भाषाटीका रचना किया / Umādatta,Sukula, Śaktidhara -- 2. khaṇḍa -- Navalakiśora1891 SARDA
163 ज्ञानदीपका : जिसमें प्रेमानुरागियों के चित्त विनोदार्थ : स्वयंब्रह्म परमेश्वर व महादेवजी के कीर्त्तन व स्तोत्र व हनुमानअष्टक अतिसुगमता के साथ अनेक प्रकार के ललित छन्दों में वर्णित हैं / दत्तसिंह ने बनाया ; पंडित दयानन्द ने संशोधनकिया / Varmmā, Dattasiṃha,Paṇḍita, Dayānanda -- Navalakiśora1889 SARDA
164 बृहत्स्तोत्ररत्नाकरः : स्तोत्रसंख्या ४१४ / रामतेजपाण्डेयेन सम्पादितः / Pāṇḍe, Rāmateja -- Paṇḍita-Pustakālaya1970 SARDA
165 श्रीस्कन्दपुराणान्तर्गत केदारखंडस्थ मायापुरीमाहात्म्य : मंगलाभाषाटीका सहित / टीकाकार, महावीरप्रसाद मिश्र / Miśra, Mahāvīraprasāda -- Navalakiśora1938 SARDA
166 श्रमदवाराहपुराण : अषटादशमहापुराणमध्ये / [अनुवादक], माद्धवप्रसाद शर्म्मा ने संस्कृत भाषा से आर्य्य भाषा में किया ; मत्पण्डितवर दुर्गाप्रसाद औ सरयूप्रसाद ने शुद्ध किया / Śarmmā, Māddhavaprasāda,Durgāprasāda,Sarayūprasāda -- uttarārddha -- Navalakiśora1889 SARDA
167 [सारस्वत सटीक] / [पण्डित शक्तिधर] / Sukula, Śaktidhara -- [Navalakiśora][1893]SARDA
168 काशीमाहात्म्य / Navalakiśora[19--]SARDA
169 विचारचन्द्रोदय / श्रीपीताम्बरपण्डितविरचित ; व्याख्याकार तथा सम्पादक, स्वामी हनुमानदास / Pītambara,Hanumānadāsa, Swami -- Caukhambā Vidyābhavana1971 SARDA
170 युगलसम्बाद : बोधप्रकाश : जिसमें योगवाशिष्ठादि वेदान्त ग्रन्थों का सार मत गुरु शिष्य के प्रश्नोत्तरों सहित तथा भगवद्गीतादि के प्रमाणों से भूषितहै / महात्मा युगलकिशोर ने वर्णन किया है / Yugalakiśora -- Navalakiśora1895 SARDA

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